छोटे से पप्पी बूजो के साथ नन्ही चुनमुन खेल रही थी । सामने सुयश भैया अपने मित्रों के साथ साइकिल चला रहे थे । सुयश भैया के साथ साथ बूजो को जैसे मालूम है कि साइकिलिंग एक अच्छी बात है उससे एक्सर्साइज हो जाती है और आनंद भी आता है। बूजो सुयश को साइकिल चलाता देखकर खुश हो गया और उसकी साइकिल के आगे पीछे भागने लगा । सुयश को भी बूजो के साथ खेलने मे मजा आ रहा था ।
इसी दौड़म-भाग मे बूजो छुपकर पास की एक झाड़ी मे चला गया । सुयश ने सोचा कि लगता है कि बूजो घर चला गया है अतः वह और चुनमुन घर चले गए। इधर झाड़ी मे जाने के बाद थका होने के कारण बूजो को नींद आ गई । सपने मे उसे लगा कि वह उडने वाला एक यूनीकार्न बन गया है और उसके पंख निकल आए हैं ।
सपने ही घोड़े की शक्ल का यूनीकार्न बना बूजो हवा मे उड़ान भरता हुआ नदी नाले पहाड़ पार कर बहुत दूर निकल आया था । सामने विशाल समुद्र था । समुद्र पर उड़ते उसे बहुत मज़ा आ रहा था। उसके पंख जो उसे उड़ान भरने मे मदद कर रहे थे । अब थकने लगा थे। वह अब डरने लगा था वह ठीक से चिल्ला भी नहीं पा रहा था बस कुइंकुई कर रहा था। नन्ही चुनमुन उसे फिर से खोजने पाक मे आई थी बूजो को कुइंकुई करता देख झट से झाड़ी से निकाल कर चुनमुन उसे घर ले आई।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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