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सोमवार, 19 जून 2023

//सुन्ना मोर गांँव// प्रिया देवांगन "प्रियू" की छत्तीसगढी प्रेरक रचना

 




सुनलव संगी सुनव मितान।देवव थोरिक येती ध्यान।।
कलजुग के कर लौ पहिचान। मनखे हावय बड़ परशान।।

गिल्ली डंडा फुगड़ी रेल।नइ होवय अब कखरो मेल।।
कहाँ लुकागे जम्मों खेल।घर मा खुसरे लगथे जेल।।

अब्बड़ सुन्ना लागे खोर।करे नहीं कोनो हर शोर।।
राँय राँय के दिन हर आय।गरमी मा मनखे उसनाय।।

कहाँ गँवागे सुग्घर गाँव।नंदावत हे इँखरो नाँव।।
बबा कका मन रहे सियान।बइठे चौरा बाँटय ज्ञान।

आमा अमली लावय टोर। चार चिरौंजी गुठलू फोर।।

तेंदू महुआ कुर्रू जाम। बेचय लइका पावय दाम।।


घर मा राखय गरुआ गाय। ताजा ताजा गोरस पाय।।

गोबर मा लीपय घर द्वार। लक्ष्मी किरपा के भरमार।।


कइसे कइसे दिन हर आय। मनखे मन जम्मों दुरियाय।

नहीं एकता घर परिवार। बिरथा होगे ये संसार।।





//रचनाकार//

प्रिया देवांगन "प्रियू"

राजिम

जिला - गरियाबंद

छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com


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