आमा अमली लावय टोर। चार चिरौंजी गुठलू फोर।।
तेंदू महुआ कुर्रू जाम। बेचय लइका पावय दाम।।
घर मा राखय गरुआ गाय। ताजा ताजा गोरस पाय।।
गोबर मा लीपय घर द्वार। लक्ष्मी किरपा के भरमार।।
कइसे कइसे दिन हर आय। मनखे मन जम्मों दुरियाय।
नहीं एकता घर परिवार। बिरथा होगे ये संसार।।
//रचनाकार//
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
Priyadewangan1997@gmail.com
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