इशिका अब आठ साल की हो गई है। वह अपनी मम्मी पापा के पास रहती है । मम्मी तो इशिका को बहुत प्यार करती हैं पापा की भी वह बहुत दुलारी है । अभी दो साल पहले तक स्कूल जाते समय मम्मी दूध का गिलास पकड़कर इशिका को पिलाती थी और उसके पापा तब उसका स्कूलबैग ठीक करते थे । इतनी मिन्नत इतने नखड़ों के बाद मे जब वह दूध नहीं पीती थी और स्कूलवैन आ जाती थी तो पापा उसे स्कूल वैन मे छोड़ आते थे।
इशी के स्कूलबैग मे मम्मी टिफिन बॉक्स रख देती थी लेकिन टिफिन बॉक्स ऐसे का ऐसे ही आ जाता था फिर दिन के खाने की टेबल पर वह टिफिन खाया जाता था । दरअसल उस के स्कूल से लौट कर आने के समय पापा मम्मी अपने आफिस मे रहते थे और बड़ा भाई अपनी पढ़ाई लिखाई मे व्यस्त रहता था । बाद मे बड़ा भाई जब पढ़ाई लिखाई से कुछ खाली हो जाता था तो ओवेन मे खाना गर्म कर अपना और इशिका का खाना टेबल पर लगाता था ।
मम्मी तबतक ऑफिस से आचुकी होती थीं और नहा धोकर आ जाती और तीनो लोग मिलकर खाना खाते थे। मम्मी को किसी प्रकार से पता नहीं चलता था कि इशी ने स्कूल मे टिफिन नहीं खाया है । परन्तु एक दिन सिंक मे पड़े टिफिन बॉक्स को देखकर मम्मी को पता चल ही गया और आया ने भी बताया कि अक्सर टिफिन बॉक्स मे बिनाखाया खाना फिकता है।
मम्मी ने जब इशिका से पूछा कि ऐसा क्यों होता है कि तुम टिफिन बिना खाए लौटकर ले आती हो तब उसने बड़ी मासूमियत से कहा कि टिफिन के समय वो होमवर्क कर लेती है ताकि खेलने के लिए कुछ समय मिल जाय । दरअसल घर मे लन्च के थोड़ी देर बाद ही ट्यूशन टीचर आ जाते है और उनके दिये होमवर्क के लिए घर मे समय नहीं मिलता है।
मम्मी समझ गई और वह स्वयं ही इशिता की पढ़ाई लिखाई देखने लगीं और इशिता भी अब खुश रहने लगी
शरद कुमार श्रीवास्तव
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