कनखियों मे कहते बच्चे
आइना बोला सच्चे बच्चे
आप अब बाॅल्ड हो गये
नानू आप ओल्ड हो गये
काले गड्ढे आंखो के तले
केश पके कनपटी तले
मुंह ऐसे छुआरा हो जैसे
गाल भीतर धंसे हो ऐसे
झट से मैने उसे नकारा
हँसा फिर जोर से डकारा
बात फाउल जचती नहीं
चीजें थोड़ी पचती नही
उम्र को तुम सब मारो गोली
पोपल पर नहीं करो ठिठोली
बिना दाँत बेबी जब हँसती
उस पर मेरी दुनिया बसती
शरद कुमार श्रीवास्तव
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