एक दिन कालू बंदर जंगल में अकेले केला खा रहा था तभी अचानक से पूरा आसमान काला हो गया हर ओर काले - काले बादल छा गए। काले -काले बादलों के आ जाने से जंगल में कोलाहल मच गया। अब सभी जानवर इधर-उधर अपने -अपने घरों की ओर कूद - कूद कर जाने लगे तभी अचानक से काले - काले बादल फट गए और जोरों से बारिश करने लगे बारिश का शोर सुनकर सभी जानवर हैरान परेशान हो गए सोचने लगे कि अब हम अपने - अपने घर कैसे जाएगे अब तो हमे भूख भी लग रही है।
भूख के कारण माकू हिरण रोने लगा उसके रोने की आवाज सुनकर कालू बंदर आ गया और पूछने लगा अरे माकू क्या हुआ तुम रो क्यों रहे हो ? माकू कहता है देखो न चाचा बाहर कितनी जोरों से बारिश हो रही है अब हम घर कैसे जाएँगे और खाना कैसे खाँएगे ? यह कहते ही माकू फिर से रोने लगता है।तभी कालू बंदर कहता है कि बस इतनी सी बात ! रुको मैं तुम सबके लिए केले लाता हूँ ।इतना सुनते ही माकू हिरण खुशी से कूदने लगता है तभी कालू बंदर सबके लिए केले लेकर आ जाता है। केले खाकर सभी जानवर खुश हो जाते हैं और कालू बंदर को धन्यवाद देते हैं ।अब कुछ ही देर में बारिश भी बंद हो जाती है और सभी जानवर अपने -अपने घर चले जाते हैं।
~अंजू जैन गुप्ता
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