सुनी कहानी नानी से
दादी ने गीत सुनाया,
माँ की लोरी सुनकर ही
आँखों ने नींद चुराया !
रोज सबेरे दादा जी
सुंदर श्लोक सुनाते,
खा-पीकर अपने कंधे
नित खलिहान धुमाते !
पशु-पक्षियों,फूलों से
परिचय होता रोज ,
बादल,बिजली,तारे देखा
करता नूतन खोज !
कभी सोचता पक्षी बन
करूँ हवा की सैर,
कभी सोचता फूल बनूँ
महकूँ जग में बिन वैर !
दादा-दादी ,नाना-नानी
बनते जाते एक कहानी,
मैं बन जाता गीत कहीं तो
चमन रचाता फिर मधुवाणी !
रांची झारखंड
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