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बुधवार, 26 अप्रैल 2017

शरद कुमार श्रीवास्तव की रचना : बन्दर मामा की बारात





बन्दर मामा की शादी

बन्दर मामा पहन सूट वे निकले ले बारात
हाथी घोडा बैन्ड बाजा सब थे उनके साथ
सब बन्दर नाचते गाते बहुत हो गई थी रात
दूल्हन के घर जा पहुँचे भइया लेकर बारात

दूल्हन देख ललचाऐ मामा खम्बा देख न पाये
अपने बूट मे फँसे बिचारे गिरे वहीं छितराय
दूल्हन ने जो देखा मामा को रही जरा चकराय
गालो मे पालिश ,कमर मे टाई, शादी कौन रचाऐ


                                  शरद  कुमार  श्रीवास्तव  

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