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सोमवार, 16 जुलाई 2018

मंजू श्रीवास्तव की कहानी : प्रोफेसर नीरजा



प्रोफेसर नीरजा के कक्षा मे प्रवेश करते ही सभी छात्रों ने एक साथ नीरजा जी का स्वागत किया |
    नीरजा जी बहुत दिनों से छात्रों से कुछ कहना चाह रहीं थी उसका मौका आज मिल गया |
      नीरजा जी ने कहा बच्चों आज आपसे बहुत जरूरी बात करनी है इसलिये आज का पाठ कल  पढ़ाऊँगी | बच्चे खामोश हो गये |
       आज जे बात मैं बताने जा रही हूँ वो मेरे जीवन की सुन्दर सी कहानी है जिसे सुनकर आप भी प्रेरित होंगे |
      आज जिस मुकाम पर मैं हूँ उसके पीछे मेरी कड़ी मेहनत व मेरे माता पिता का बहुत बड़ा हाथ है |
      जब मैं बहुत छोटी थी तभी मेरे माता पिता का कार दुर्घटना मे देहान्त हो गया था  | बिल्कुल अकेली, असहाय सी अपने कमरे मे बैठी थी|
   तभी कमरे का दरवाजा खुला और अंकल आंटी आ गये जिनके यहां मेरी मां काम करती थी | उन्हें देखकर  मैं रोने लगी  | उन लेगों मुझे धीरज बंधाया और अपने घर ले गये |
अंकल आंटी निःसंतान थे | उन दोनो ने मुझे हमेशा के लिये अपने यहां रख लिया  अपनी बेटी बनाकर | मैने भी उन्हें मम्मी पापा कहना शुरू कर दिया  | स्कूल भी जाना शुरु कर दिया था |
        कुशाग्र बुद्धि तो थी ही मेरी |
     सफलताओं की सीढ़ियां चढ़ते हुए १२ वीं मै टॉपर थी | सरकार की तरफ से मुझे स्कॉलरशिप मिली  | आगे की पढ़ाई जारी रखी |
    समय गुजरता गया | मैने ph.d की | माता पिता की खुशी का ठिकाना न था  |
      मैने प्रोफेसरशिप के लिये आवेदन पत्र भेजा और मेरा चयन हो गया  | 
    बच्चों  ये थी मेरे जीवन की सफलता की कहानी |
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बच्चों , सफलता उसीको मिलती है  जो मेहनत से पीछे नहीं हटते |
ईश्वर उसी की मदद करता है जो अपनी मदद खुद करते हैं   |


                            मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार

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