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बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

बसेरा : प्रिया देवांगन प्रियू








देखो माँ मैने आज अपना बसेरा बनाया ।
तिनका तिनका जोड़ जोड़ अपना घर बनाया।।
कभी भुख न रहने देती,खाना रोज लाती थी।
तुम नही खाती थी माँ , हमे रोज खिलाती थी।।
ठंडी गर्मी बरसात , इन सबसे बचाती थी।
कितनी मेहनत करती थी माँ ,अब समझ मे आया।
देखो माँ मैने आज अपना बसेरा बनाया।।


बरसातों में पेड़ो पर ,छाया तुम लाती थी।
जाड़े के दिनों में हमे , ठंड लगने से बचाती थी।।
छोटे छोटे बच्चे थे माँ , उड़ना हमे सिखाती थी।
कैसे जीना हमें चाहिए, राह नया दिखाती थी।।
देखो माँ मैने आज अपना बसेरा बनाया।
कितनी मेहनत करती थी माँ ,अब समझ मे आया।।







                          प्रिया देवांगन प्रियू
                          पंडरिया  (कबीरधाम)
                          छत्तीसगढ़
                          priyadewangan1997@gmail.com

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