एक सपेरा साँप पकड़ने,
अपने घर पर आया,
सब बच्चों को हाथ जोड़कर,
उसने यह समझाया,
बोला जहरीली नागिन में,
गुस्सा बहुत भरा है,
मेरा दिल भी इसके आगे,
सच में डरा-डरा है।
बीन बजाकर हाथ नचाकर,
घंटों उसे रिझाया,
कैसे पकडूं इस नागिन को,
समझ न उसके आया।
स्वयं सपेरे ने बच्चों को,
आकर यह बतलाया,
पास न जाना, मैं तुरंत ही,
अंकुश लेकर आया।
तभी सपेरे ने अंकुश में,
उसका गला फसाया,
डिब्बे में कर बंद उसे सब,
बच्चों को दिखलाया।
बच्चों ने अंकल को सबसे,
बलशाली बतलाया,
कोई छोटा भीम, किसी ने,
साबू उसे बताया।
बच्चों की सुंदर बातों ने,
सबका मन बहलाया,
हाव-भाव को देख सभी को,
मज़ा बहुत ही आया।
वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"
मुरादाबाद/उ,प्र,
9719275453
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