ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 6 जून 2021

चंकु - मंकु और जंगल :रचना अंजू जैन गुप्ता

 




एक दिन रिया और टिया की मम्मी ने रिया से कहा,"  बच्चो देखो लगता है कि आज जोर से बारिश होने वाली है  चारों ओर घनघोर बादल भी छाए हुए है" ।मैं जल्दी से बाज़ार जाकर शाम के लिए कुछ सब्जियाँ व फल ले आती हूँ। तब तक तुम्हारे पापा भी दफ़्तर से आ जाएँगे परन्तु जब तक मैं बाज़ार से लौट कर नहीं आती तुम दोनों अंदर ही रहना। चलो, अब सारे दरवाज़े व खिड़कियाँ बंद कर लो।

रिया कहती है," ठीक है मम्मा आप जाओ और जल्दी लौट आना ",तभी रिया कहती है कि मम्मा- मम्मा,सुनो आप आते हुए हमारे लिए आइसक्रीम भी ले आना ।मम्मा कहती है ठीक है बच्चो अब अंदर से घर बंद लो और जब तक मैं नहीं आती तुम दोनों लड़ना नहीं यह कहकर मम्मा चली जाती है। 

अब रिया और टिया दोनों ही अपने ड्राइंग रूम में बैठ कर टीवी  देखने लगती हैं। परन्तु कहीं से एक खिड़की खुली रह जाती है और उनके घर में दो बन्दर घुस आते हैं। टिया जैसे ही बन्दर को देखती है वह ज़ोर से रिया दीदी बन्दर - बन्दर चिल्लाते हुए सोफे के ऊपर चढ़ जाती है । बन्दरो को देख कर दोनों ही बहने डर जाती है। तभी बन्दर उन  बच्चियों को अकेले देखकर तुरंत ही खिड़की के बाहर लौट जाते हैं और बाहर से ही कहते हैं ," बच्चो बच्चो please हमसे डरो नहीं"। 

मैं हूँ 'चंकु 'और यह है  मेरा मित्र' मंकु'। 

हम तुम दोनों को काटने या तंग करने नहीं आए हैं। हमें तो ज़ोरों  से भूख लगी थी। हमने दो दिनों से कुछ खाया भी नही इसलिए हम तो यहाँ कुछ खाने के लिए ढूँढने आए थे।

तभी टिया बोल पड़ती है  खाना,  खाना है तो अपने घर जंगल में जाकर खाओ। यहाँ हमारे घर क्यों आए हो?

तभी चंकु कहता, टिया तुम सही कह रही हो पर क्या तुम्हें पता है कि आज कल सारे बड़े बिल्डरों





 ने  बड़े - बड़े माॅल, होटल, दफ्तर और कारखाने (factories) आदि  बनवाने के लिए हमारे घर जंगलो व पेड़  पौधों को कटवा दिया है। अब तुम ही बताओ कि हम कहाँ जाकर रहे ।यह सुनते ही टिया कहती है, "कि रहने दो चंकु -मंकु तुम हमें मूर्ख मत बनाओ"। तभी रिया बोल पड़ती है कि ,नहीं- नहीं बहन ये दोनों तो सही कह रहे हैं तुम अभी छोटी हो इसलिए तुम्हें पता नहीं है परन्तु फरीदाबाद, गुजरात, मुम्बई और Gurugram जैसी जगहों पर ऐसा ही हो रहा है।ऐसा सिर्फ़ भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया के देशों में हो रहा है।  वहाँ पर जंगल व पेड़ पौधों को कटवा कर बड़े बड़े माॅ ल व होटल बनाए जा रहे है तो कहीं पर कारखाने (factories)खोले जा रहे है। तभी टिया कहती है पर दीदी ऐसा करना तो गलत है न,हमें किसी का घर नहीं तोड़ना चाहिए। 

फिर रिया उसे समझाती है और कहती है, कि हाँ- हाँ बहन तुम सही कह रही हो किसी का घर तोड़ना या रहने की जगह को नष्ट करना गलत है। जंगल और पेड़ पौधों को नष्ट करने से तो प्रदूषण होता है और  हमारे पर्यावरण का संतुलन भी  बिगड़ जाता है। तब टिया पूछती है पर दीदी वो कैसे? 

रिया समझाती है कि यदि हम पेड़ पौधों को काट देंगे तो वर्षा नहीं होगी और यदि वर्षा नहीं होगी तो धरती को पानी नहीं मिल पाएगा। जिससे कहीं सूखा पड़ जाएगा तो कहीं अनाज की कमी हो जाएगी।

दूसरा इससे पर्यावरण को भी नुकसान होगा हमें ताज़ी हवा और ऑक्सीजन भी भरपूर मात्रा में नहीं मिल पाएगी।तभी टिया बोल पड़ती है कि हाँ- हाँ दीदी मेरी मैम ने भी बताया था कि ,"अगर हमें ऑक्सीजन नहीं मिलेगी तो हम सब मर जाएँगे यह तो हमें जीवन देती है"।

हाँ- हाँ टिया तुम सही कह रही हो पेड़ पौधों व जंगलो के कट जाने से ऋतुओं (seasons)में भी परिवर्तन आया है अब धरती पर तापमान बढता जा रहा है अर्थात अब धरती और गर्म हो रही है। तभी चंकु और मंकु कहते है हाँ- हाँ रिया दीदी आप सही कह रहे हो।अब हम भी चलते हैं। तभी टिया कहती है अरे!नहीं- नहीं चंकु- मंकु ,रूको -रूको ;चंकु कहता है ,क्या हुआ टिया?टिया कहती हैकि,  रिया दीदी तुम दोनों के लिए कुछ खाने का लेने गई है ।ये लो दीदी आ भी गई ।तब रिया उन्हें केला,सेब व अगूंर खाने के लिए देती है ।वे दोनों खाकर बहुत खुश होते हैं और कहते है," कि रिया और टिया तुम दोनों बहुत अच्छी हो"।तभी रिया कहती है, कि चंकु -मंकु तुम चिंता मत करो हमारे पापा "जागरूक रहो "अखबार के संपादक (editor)है। हम अपने पापा से बात करेंगे और बोलेंगे कि इस समस्या के बारे में अपने अखबार में लिखें ताकि सभी को  जंगल न काटने व पेड़ पौधों को लगाने के लिए प्रेरित  किया जा सके और इस समस्या का भी कुछ समाधान निकल सके।चंकु और मंकु कहते है कि , धन्यवाद रिया और टिया। तभी रिया कहती है कि," चंकु मंकु तुम चिंता मत करो और जब कभी भी तुम दोनों को कुछ खाना हो तुम यहाँ आ सकते हो"। बाॅय बाॅय।



अंजू जैन गुप्ता

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें