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रविवार, 26 सितंबर 2021

ढोंगीऔघड़ बाबा! लघु कहानी : वीरेन्द्र सिंह बृजवासी





लंबा चोगा, शरीर पर भभूत,गले में मानव अस्थियों की लंबी सी माला,उलझी जटाएं,बड़ी-बड़ी आंखें और हाथ में चिमटा कमंडल तथा होंठों पर हर-हर शम्भू का जोरदार उच्चारण करते हुएऔघड़ बाबा ने किशोरी लाल जी से बड़े ही रूखे स्वर में चिल्लाते हुए कहा दस रुपए दे,,,। किशोरीलाल जी के जान बूझकर अनदेखा करने पर औघड़ बाबा ने क्रोधी  भाव प्रदर्शित करते हुए पुनः कहा, तूने सुना नहीं, मैंने क्या कहा। जल्दी से दस रुपए निकाल अन्यथा,,,,,,

   अन्यथा, क्या कर लोगे। तुम तो ऐसी धौंस दे रहे हो जैसे मुझे कुछ देकर भूल गए हो।,,,  किशोरीलाल जी ने कहा। 

  क्या तू मुझे नहीं जानता। औघड़ बाबा ने मानव  मुंड पर हाथ फेरते हुए कहा। मैं भगवान शंकर का घोर उपासक हूँ।  मेरी जिह्वा पर शेषनाग विद्यमान है, कहते हुए काले रंग से बनाई गई सर्प की आकृति वाली अपनी जिह्वा को बाहर निकालकर किशोरी लाल जी को दिखाते हुए कहा, अगर तूने मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुझे पलभर में भस्म कर दूंगा। एक बार को तो किशोरीलाल जी भी उसकी भाव भंगिमाओं को देखकर विचलित से हो गए। परंतु अगले ही पल संभलते हुए बोले। हे औघड़ बाबा भगवान शिव तो सर्वभक्षी थे। आक-धतूरा और विष पान करना तो उनकी दिनचर्या रही है।

    हाँ-हाँ, यह सब तू मुझे क्यों बता रहा है। मैं भी तो सर्वभक्षण और विषपान कर सकता हूँ। अच्छा ,,,,,,

  किशोरीलाल जी ने अपने पुत्र गोलू को आवाज़ लगाते हुए शौचालय में रखी तेज़ाब की बोतल लाने को कहा। यह सुनते ही औघड़ बाबा के कान खड़े हो गए। उत्सुकतावश उसने किशोरीलाल जी से पूछा तेज़ाब की बोतल किस लिए।  

 इसपर किशोरीलाल जी ने मुस्कुराते हुए बोतल को आगे बढ़ाया और बाबा से उसे पीने के लिए कहा। 

    औघड़ बाबा ने कहा तुम मेरा घोर अपमान कर रहे हो। मैं तेज़ाब भला कैसे पी सकता हूँ। इसपर किशोरीलाल जी ने अपने पुत्र को किवाड़ के पीछे रखा  डंडा लाने को कहा। गोलू ने कहा पापा इसका क्या करेंगे। पापा बोले, इस ढोंगी औघड़ बाबा को तो मैं भस्म करूंगा।यह मुझे क्या भस्म करेगा।अभी इसकी जमकर खबर लेता हूँ। 

    इतना सुनते ही औघड़ बाबा सर पर पैर रखकर भागता नज़र आया।

      


        वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

            मुरादाबाद/ उ,प्र,

            9719275453

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