करे मेहनत रोज, पसीना माथ बहाते।
एक एक पैसा जोड़, घरों में रोटी लाते।।
तपती गर्मी धूप, सड़क पर चलते जाते।
दिखे सवारी राह, उसे मंजिल पहुँचाते।।
देखे सपने रोज, टूट जाते हैं सारे।
पाई-पाई जोड़, सभी के बने सहारे।।
किस्मत अपनी देख, हाथ को अपने मलते।
उड़ते आँखे नींद, सबेरे रिक्शा चलते।।
करें मेहनत काम, नहीं होता है छोटा।
करते हैं जो शर्म, उसी का किस्मत खोटा।।
रिक्शा वाला देख, लोग जो मुख को मोड़े।
आये विपत्ति पास, हाथ को अपना जोड़े।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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