व्रत करती है मिलकर नारी।
लगती है सब प्यारी प्यारी।।
सूर्य देव की पूजा करती।
आस्था श्रद्धा मन में भरती।।
सूर्योदय नदियों पर जाती।
कलशा में वह जल को लाती।।
फल मिष्ठाने भोग लगाती।
छठ मैया की आशिष पाती।।
सुंदर-सुंदर सूप सजाती।
गन्ने फल को भर कर लाती।।
दीप दान नदियों में करती।
छठ मैया सब दुख को हरती।।
सदा सुखी तुम रखना माता।
तुम ही हो जीवन की दाता।।
मातायें सब आस लगाती।
रोग दोष को दूर भगाती।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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