आया दीवाली का, शुभ त्यौहार।
दीप जलाते मिलकर, घर अरु द्वार।।
जगमग रोशन होता, है संसार।
प्रेम बाँटते सारे, जी परिवार।।
धरती में आये हैं, प्रभु श्री राम।
दोनों हाथों जोड़े, लेते नाम।।
जपते माला प्रतिदिन, प्रातः शाम।
मिटते संकट सब का, बनते काम।।
सच्चे मन से पूजा, करते लोग।
निकट नहीं आते हैं, मिटते रोग।।
बच्चें बूढ़े करते, माला जाप।
सच्ची सेवा से हर,कटते पाप।।
रावण का बढ़ता जब, अत्याचार।
राम लला हाथों ने, कर संहार।।
लगे निशाना उनके, बोड्डी बाण।
तड़प तड़प रावण भी, त्यागे प्राण।।
अच्छाई की होती, हरदम जीत।
बढ़े हौसला मन में, बढ़ती प्रीत।।
राम लखन सीता माँ, आये द्वार।
गाँव वासियों द्वारा, अर्पित हार।।
आओ बच्चों मिलकर, करे प्रणाम।
बनना इस कलयुग में, तुम भी राम।।
उज्ज्वल होगा तब जी, भारत देश।
मिट जाएगा संकट, सारा क्लेश।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
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