सुख दुख जीवन के साथी है, इससे ना घबराओ जी।
हिम्मत कर के आगे आओ, जीवन सफल बनाओ जी।।
कल क्या होगा किसने देखा, फिर क्यों सोचा करते हो।
सही कर्म की राहे चलते, फिर भी सारे डरते हो।।
मुश्किल आती है जीवन में, उससे भी टकराओ जी।
हिम्मत कर के आगे आओ, जीवन सफल बनाओ जी।।
मिट्टी की ये देह बनी है, चूर चूर हो जायेगी।
गिनती की साँसे चलती है, हाथ कभी ना आयेगी।।
खुश रह के तुम जीना सीखो, खुशियाँ भी फैलाओ जी।
हिम्मत कर के आगे आओ, जीवन सफल बनाओ जी।।
भोले बाबा ऊपर बैठे, करते हैं लेखा जोखा।
साथ हमेशा रहते हैं वो, नहीं कभी देते धोखा।।
द्वेष कपट को दूर रखो तुम, सबको गले लगाओ जी।
हिम्मत कर के आगे आना, जीवन सफल बनाओ जी।।
रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
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