ब्लॉग आर्काइव

मंगलवार, 16 अप्रैल 2019



महात्मा बुद्ध प्रतिदिन अपने आश्रम  मे पूजा पाठ संपन्न करने के बाद टहलने निकला करते  थे |  शहर मे सब शांति से रह रहे हैं जानकर वह चिंता मुक्त हो जाते थे |
   उनके आश्रम से कुछ ही दूर एक जंगल  था | टहलते समय उनको वह जंगल पार करना पड़ता था| उस जंगल मे एक डाकू आकर रहने लगा था| वह बड़ा क्रूर था| जो भी राहगीर जंगल से होकर शहर जाता उसे पकड़कर उसके हाथ काट डालता था और उंगलियों की माला बनाकर पहन लेता था |
उस डाकू की क्रूरता से गांववाले बहुत परेशान थे | जब महात्मा बुद्ध को यह बात पता लगी तो उन्होने सोचा जंगल मे जाकर देखें क्या बात है?
   दूसरे दिन वह जंगल से गुजर रहे थे कि वह डाकू उनके सामने आकर खड़ा हो गया और बहुत गालियां देने लगा| तलवार निकालकर बोला अपना हाथ निकालो | महात्मा बुद्ध ने  हाथ आगे  कर दिया | डाकू ने तलवार उठाई हाथ पर वार करने के लिये, पर यह क्या ? तलवार उठी तो उठी रह गई  | डाकू बहुत चकराया कि ये क्या हो रहा है | मैने ऐसा इन्सान देखा नहीं ,डाकू ने मन मे सोचा | इतना भला बुरा कहने के बाद भी बिलकुल शांत खड़ा है |
    डाकू ने बुद्ध से पूछा ,मैने आपको इतना भला बुरा कहा पर आप बिल्कुल शांत खड़े है | बुद्ध ने कहा वत्स! तुमने मुझे गालियां दीं पर मुझे जरूरत नहीं थी इस कारण मैने स्वीकार  नहीं की | वह तुम्हारी थी तुम्हारे पास लौट गई |
डाकू समझ गया कि ये कोई बहुत बड़े महात्मा हैं | वह उनके पैरों पर गिर गया और उसने माफी मांगी | महात्मा बुद्ध ने उसे उठाकर गले लगा लिया |
          उस दिन से वह डाकू महात्मा बुद्ध का शिष्य बन गया और बाकी जीवन सत्कर्मों मे लगाया  |
      जानते हो बच्चों उस डाकू का नाम था अंगुलीमाल |
   सत्कर्म करके जीवन सफल बनाओ |



              मंजू श्रीवास्तव हरिद्वार

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