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शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

बाल कविता नींद खुली तो. : प्रभु दयालु श्रीवास्तव





        
        नींद खुली तो
    हंसा रही थी बात बात में।
    परी आई थी गई रात में।
    एक हाथ में चॉक्लेट थी,
    चना कुरकुरे एक हाथ में।

    हम तो उसके दोस्त हो गए,
    बस पहली ही मुलाक़ात में।
    बोली इन्टर नेट सिखा ,
    लेपटॉप हूँ लाई साथ में।

     नींद खुली तो मां को ,देखा,
     गरम जलेबी लिए हाथ में।
     माँ ही बनकर परी आई थी,
     समझ गई मैं ,गई रात में | 



                      प्रभुदयाल श्रीवास्तव छिंदवाड़ा

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