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गुरुवार, 26 मार्च 2020

मम्मी मम्मी देखो आया कोरोना (बाल कविता ) डॉ सुशील शर्मा








मम्मी मम्मी देखो आया कोरोना
मम्मी मम्मी देखो छाया कोरोना

भागा भागा सड़कों पर
ये फिरता है।
छींकों की बूंदों में फिर
ये गिरता है।
हाथ हथेली में चुपके
से छुप जाता है।
मुँह के रस्ते से फिर
अंदर घुस जाता है।

जिसको ये लग जाता है
उसको फिर पड़ता है रोना।
मम्मी मम्मी देखो आया कोरोना।

हाथ मिलाना नहीं किसी से
करो दूर से नमस्ते।
रहो चार फुट दूर मिलो
सबसे हँसते हँसते।
एकमात्र बचने का विकल्प
घर पर रहना।
रखें सावधानी हम सब
ये हे मोदी जी का कहना।


अपने हाथों को साबुन से
रगड़ रगड़ कर तुम धोना।
मम्मी मम्मी देखो आया कोरोना।


मम्मी पापा से कह दो
वो बाजार नहीं जाएँ।
हम सब बच्चे बाहर की
चीजें न खाएँ।
घर के अंदर रहें सभी
अपने वाले।
हम खुद ही बन जाएँ
अपने रखवाले।

 नहीं चाहता कोई भी
अपनों को खोना।
मम्मी मम्मी देखो आया कोरोना।



             डॉ सुशील शर्मा




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