ब्लॉग आर्काइव

शुक्रवार, 6 मार्च 2020

होली




बच्चों,हम आपके सम्मुख  होली विशेषांक रख रहे हैं। आशा है यह आपको पसंद आयेगा।  जैसा कि आप जानते ही हैं कि होली का त्योहार भारत और नेपाल सहित सभी हिन्दू धर्म के अनुयायियों में बहुत जोर शोर से मनाया जाता है ।   जानते हैं आप कि होली का त्योहार क्यों मनाते हैं? प्रहलाद नामक बालक भगवान का बड़ा भक्त था। उनके पिता हिरणाकश्यप दैत्यराज को अपने ऊपर बहुत घमंड था और वह स्वयं को भगवान से बड़ा समझता था। प्रहलाद भगवान की पूजा करता था तो उसको भगवान की पूजा नहीं करने  के लिए कहता था  भक्त प्रहलाद  तरके नहीं मानने पर तरह तरह से मार डालने की बहुत कोशिश की। प्रहलाद को पहाड से नीचे फेंका, पागल हाथी के सामने डाला,खाने में जहर मिलाया लेकिन भगवान भक्त प्रहलाद हमेशा बच जाता था। अपने भाई को परेशान देखकर हिरणाकश्यप की बहन होलिका  जिस के पास एक ओढनी थी जिसे ओढ कर अगर आग में बैठ जाय तो आग उसे नहीं जला पायगी , बालक प्रहलाद को गोद में लेकर बैठ गई लेकिन भगवान के आशीष से ऐसी हवा चली कि ओढनी  हवा में उड गई और होलिका जल गई तथा प्रहलाद बच गये। तब से लोगों ने एक दूसरे के ऊपर रगों को डाल कर लोग खुशियाँ मनाने लगे। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन के पश्चात उसके अगले दिन  रंग खेल कर मनाते हैं। हाँ एक बात और है वह यह कि भारतीय कृषक के पास रबी की फसल कट कर घर में आ जाती है अत: यह त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।  मौसम बहुत सुहाना हो जाता है।   आम के पेड़ों पर बौर आ जाते हैं पेड़ों पर कोयल गाने लगती है। 

होली भाईचारा और आपसी सौहार्द का प्रतीक है। हम सभी भेदभाव दूर कर प्यार से एक दूसरे के गले मिल इसे मनाते हैं।ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है।
आजकल अच्छी क्वॉलिटी के रंगों का प्रयोग होली में नहीं होता है।    त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग खेले जाते हैं। यह गलत है।  होली के इस  त्योहार पर रसायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए। बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंकने से चोट लग सकती है । रंगों को भी आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। यह मस्ती भरा पर्व मिलजुल कर मनाना चाहिए। 

इस वर्ष कोरोना वाइरस का प्रकोप फैला है अतः बहुत सावधानी से और सजगता से होली का त्योहार मनाना चाहिए।. गुझिया तथा तरह तरह के पकवान का मजा भी एक उचित मात्रा में ही लेना चाहिए नहीं तो पेट खराब होने का डर रहता है और परेशान होना पड़ता है। 


                                 शरद कुमार श्रीवास्तव 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें