जब पहली बार पाठ शाला मैं
दादा जी के साथ गया।।
आँखों में आंसू लेकर मैं,
मैडम जी के पास गया।।
रह,रह माँ की याद सताये।
पापा के बिन रहा न जाए।।
मैडम जी जब पाठ पढाये।
हमको कुछ भी समझ न आए।।
करके इशारा पास बुलाया।
बड़े प्यार से था समझाया।
देखो बेटा ,रोना छोड़ो।
विद्यालय से नाता जोड़ो।
नए,नए कुछ दोस्त बनाओ।
उनके सँग कुछ हिल,मिल जाओ।
विद्यालय है मंदिर जैसा।
रोना,धोना डरना कैसा।।
मंजू यादव
एटा
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