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बुधवार, 14 नवंबर 2018

मधु त्यागी का बालगीत : देश हमारा




देश हमारा सबसे न्यारा,
है सबको प्राणों से प्यारा।
सुंदर इसे बनाएँगे, 
फूलों सा महकाएँगे।

उत्तर में है खड़ा हिमालय,
गाता गौरव गाान।
दक्षिण में सागर लहराता,
और इसके चरणों को धोता।
हरे भरे हैं खेत यहाँ पर,
झरने मीठे गीत सुनाते।

भिन्न- भिन्न हैं धर्म यहाँ पर,
भिन्न भिन्न भाषाएँं।
भिन्न भिन्न है जाति सबकी,
भिन्न भिन्न हैं वेश।
पर किसी तरह का भेद नहीं है,
और नहीं है द्वेश।

मातृभूमि के चरणों में हम,
मिलकर अपना शीश नवाएँ।
नवजीवन की अलख जगाएँ,
और धरती को स्वर्ग बनाएँ।


             - मधु त्यागी

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