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गुरुवार, 6 दिसंबर 2018

खुशी गर्ग की कविता मेरे पापा




मेरे पापा

पापा की लाडली हूँ मैं
पापा की दुलारी हूँ मैं
काम करके आते वह शाम को
लिपट जाती मैं झट से उनको
खून- पसीना बहाते वह हमारे लिए,
मेहनत वह बहुत करते वह हमारे लिए
पूरी करते वह सभी ख्वाहिशे मेरी
मैं भी पूरे करना चाहती हँू 
सपने उनके सभी.....
देखा उन्होंने सपना, मुझे डाॅक्टर बनाने का
करूँगी पूरा, मैं उनका यह सपना
बड़ी होकर, खूब पढ़- लिखकर
बनूँगी मैं डाॅक्टर ज़रूर ।
उनकी लाडली हूँ ,उनकी बेटी हूँ 
बड़ी होकर, रहूँगी उनके साथ हमेशा
बेटा बनकर, करूँगी देखभाल उनकी।

                 - खुशी गर्ग
                   कक्षा - नौ
                   एमिटी इंटरनेशनल स्कूल
                   सैक्टर - 46, गुड़गाँव

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