बच्चों आज ज्ञान की बातें कर लें |
१) पानी केरा बुदबुदा अस मानुष की जात,
देखत ही छिप जायगी ज्यों तारा
परभात |
अर्थ है:-
मनुष्य का जीवन पानी के बुलबुले के समान है | जो क्षण भर मे बुलबुले की तरह गायब हो जाता है |
जैसे सवेरा होते ही तारे छिप जाते हैं |
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२)रहीमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय,
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय|
अर्थ:-
प्रेम रूपी धागा मत तोड़ो, अर्थात मन मुटाव मत करो |धागा एक बार टूट जाये तो जुड़ता नहीं, जोड़ने पर गांठ पड़ जाती है|
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३)तिनका कबहुँ न नींदिये, जो पायन तर होय,
कबहुँ उड़ि आँखिन पड़े, पीर घनेरी होय |
अर्थ:- सड़क पर पैर के नीचे पड़े तिनके का अनदेखा मत करो. | जब उड़कर आँखों मे पड़ जाय तो बहुत पीड़ा होती है |
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४)करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत जात हैं सिल पर परत निसान.
देखत ही छिप जायगी ज्यों तारा
परभात |
अर्थ है:-
मनुष्य का जीवन पानी के बुलबुले के समान है | जो क्षण भर मे बुलबुले की तरह गायब हो जाता है |
जैसे सवेरा होते ही तारे छिप जाते हैं |
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२)रहीमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय,
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ परि जाय|
अर्थ:-
प्रेम रूपी धागा मत तोड़ो, अर्थात मन मुटाव मत करो |धागा एक बार टूट जाये तो जुड़ता नहीं, जोड़ने पर गांठ पड़ जाती है|
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३)तिनका कबहुँ न नींदिये, जो पायन तर होय,
कबहुँ उड़ि आँखिन पड़े, पीर घनेरी होय |
अर्थ:- सड़क पर पैर के नीचे पड़े तिनके का अनदेखा मत करो. | जब उड़कर आँखों मे पड़ जाय तो बहुत पीड़ा होती है |
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४)करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान,
रसरी आवत जात हैं सिल पर परत निसान.
अर्थ:- अभ्यास करते करते बुद्धु इन्सान भी ज्ञानी बन जाता है |
जैसे कुँए के पत्थर पर रस्सी के बारबार आने जाने से निशान बन जाता है |
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५)
पोथी पढ़ पढ. जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित
होय |
अर्थ:- लोग पुस्तक पढ़ पढ़कर थक गये पर पंडित कोई न बन सका | जिसने सबसे प्रेम करना सीख लिया वही पंडित बन गया |
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मंजू श्रीवास्तव
हरिद्वार
जैसे कुँए के पत्थर पर रस्सी के बारबार आने जाने से निशान बन जाता है |
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पोथी पढ़ पढ. जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित
होय |
अर्थ:- लोग पुस्तक पढ़ पढ़कर थक गये पर पंडित कोई न बन सका | जिसने सबसे प्रेम करना सीख लिया वही पंडित बन गया |
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मंजू श्रीवास्तव
हरिद्वार
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