बढ़ते संख्या रोज, लोग भी बढ़ते जाते।
नहीं नियंत्रण होय, तभी संकट है आते।।
आबादी को देख, सदा बढ़ती महँगाई।
जनसंख्या पर रोक, करो सब मिलकर भाई।।
करे नौकरी आस, बढ़ा के बच्चे सारे।
घूमे कागज रोज, लोग किस्मत से हारे।।
बेटी बेटा एक, भेद ना इसमें जानो।
जीवन का आधार, सदा दोनो को मानो।।
जनसंख्या पर रोक, करें जल्दी ही जारी।
महँगाई की मार, पड़ी है सब पर भारी।।
छोटा हो परिवार, तभी सब साथ निभाते।
थामे रहते हाथ, सुखी जीवन को पाते।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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