खरगोश की अक्लमंदी
बहुत दिन पुरानी बात है कि एक जंगल मे एक झील के किनारे कुछ खरगोश अपने अपने घरों मे रहते थे । उसी जंगल मे कहीं दूर दराज से एक हाथी का झुन्ड आया । उन हाथियों को वह जंगल बहुत अच्छा लगा । खूब छाये दार पेड़ खूब फल हाथी पूरी मस्ती मे आ गये , उन्होने उस जंगल को मस्ती मे नहस करके खूब नुकसान पहुँचाया । उन हाथियों को जब प्यास लगी तब उनके मुखिया ने उन्हे बताया कि इस जंगल का सरोवर वह जानता है जहाँ का पानी बहुत मीठा है । फिर क्या था उसके साथ सारे हाथी उस झील पर पहँचे और उन्होने मजे से खूब पानी पिया और लौट गये । इन लापरवाह हाथियों के पैरो के नीचे कई खरगोश आ गये और उन्होने अपने प्राण गंवाए। यह सिलसिला कुछ दिन चला और हर रोज एक न एक खरगोश उनकी लापरवाही का शिकार होते थे ।
आखिरकार उंन खरगोशो ने एक सभा कर अपने ऊपर आयी इस आकस्मिक आपदा का निदान खोजने का प्रयास किया । उन खरगोश के बुजुर्ग खरगोश को एक तरकीब सूझी । उसने बाकी खरगोशों से शान्ति बनाए रखने को कहा । उसने अपने साथियों से कहा कि किसी आपदा का सामना शान्ति से किया जाता है विचलित नहीं हुआ जाता है। आप सब शान्ति से बैठिये मैं कुछ न कुछ करता हूँ । थोड़ी देर बाद जब हाथियों के झुन्ड के आने का समय हो चला था , तब वह पास के टीले पर चढ़ गया। जब हाथी उधर से गुजरने लगे तब वह चिल्लाकर बोला कि वह मै देव दूत हूँ । पृथ्वी के देवता! चन्द्रमा ने मुझे भेजा है । आप लोग नहीं जानते हैं कि सारे खरगोश जिन्हे ‘ शशांक’ भी कहते हैं भगवान चन्द्रमा के ही दूत हैं और चन्द्रमा से पास से ही आये है । आपने जाने अन्जाने मे खरगोशों को बहुत नुकसान पहुँचाया है उससे चन्द्रमा देवता आप लोगो से नाराज हैं । वे गुस्से से काँप रहे है । वे हमारे पास आये हुए हैं । इसलिये अच्छा यही होगा कि आपलोग इस जंगल को तुरंत ही छोड़ कर किसी दूसरी ज॒गह चले जाएं नहीं तो चन्द्रमा देवता के गुस्से का सामना करना पड़ जायगा । सब हाथी एक दूसरे की तरफ संशय और भय से देखने लगे । तभी उस बूढ़े खरगोश ने कहा इसमे कोई संशय करने की बात नहीं है . शाम को आपमे से कोई, इसी झील पर आ जाये और अपनी आखों से प्रत्यक्ष देख ले ।
जंगल जाकर हाथियों की बैठक मे निर्णय लिया गया और उनका मुखिया हाथी, दबे पांव बिना किसी खरगोश को नुकसान पहुंचाए आया । उस समय शीतल मन्द हवा चल रही थी। झील मे पूर्णिमा के पूर्ण चन्द्र की काँपती परछाईं देखकर वह हाथी चन्द्रमा को गुस्से मे काँपता समझ कर भयभीत हो गया और लौटकर बिना कोई समय खोये बाकी हाथियों के साथ जंगल छोड़ कर कहीं और चला गया । इस प्रकार संयंम और बुद्धि के प्रयोग से खरगोशों को विजय मिली।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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