सर में कफन बाँधकर हमको, इसकी रक्षा करना है।
इसके खातिर जीना है अब, इसके खातिर मरना है।।
चाहे कुछ हो जाये अब तो, पीछे कभी न हटना है।
कोई दुश्मन आ ना पाये, सीमा पर ही डटना है ।।
कोई दुश्मन आँख दिखाये, आँख फोड़ हम डालेंगे।
आकर देखो सीमा पर तुम, कूट कूट कर मारेंगे ।।
वतन हमारी मातृभूमि है, इसकी सेवा करते हैं ।
आँच न आने देंगे इस पर, इसके खातिर मरते हैं ।।
वतन हमारा सबसे प्यारा, बाजी सभी लगायेंगे ।
माटी का जीवन है प्यारे, माटी में मिल जायेंगे ।।
महेंद्र देवांगन "माटी"
(प्रेषक - सुपुत्री प्रिया देवांगन "प्रियू")
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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