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सोमवार, 6 मार्च 2017

अंजू निगम की बाल कथा : छगनु का सपना



छगनु के सपने

एक गाँव में एक गरीब लड़का छगनु रहता था|  वह बहुत ही आलसी था। रात-दिन बिस्तर में लेटा रहता था  | उसकी माँ उसके आलसपने से परेशान थी और उससे कुछ काम करने को कहती रहती थी  |
    माँ के कहने पर छगनुजी कुछ काम करने के लिए गये 
  | उन्होंने   यहाँ वहाँ काम करके  कुछ पैसे जमा कर लिये |  छगनुजी   पैसे  कमा  लेने  पर बहुत  खुश हो गए ।    उनकी   माँ ने आते समय छगनु को  दूध लाने को भी कहा था| छगनु जो दूध ला़ये तो माँ ने दूध के बर्तन  को छींके पर टांग दिया|   

 छगनु काम कर के थक गये थे।  छींके  के  पास  ही  वे लेट गये और  लेटते ही वे  सो गये|   सोते ही वे  सपने  देखने लगे|   सपने  में  दूध ऊँचे दाम में बेचकर, छगनु ने इतने पैसे जमा कर लिया, कि उन पैसो से वो एक बकरी ले आये हैं |   फिर उन्होंने  बकरी का दूध बेच काफी पैसे जमा कर लिया |   उसके  बाद वे  एक और बकरी ले आये|   अब  दो बकरियों  का खूब दूध होने लगा , तब एक गाय भी  खरीद  लाए  |    छगनु जी खूब अमीर हो गये थे |  उन्हें  अपना  टूटा घर अच्छा नहीं  लगता था ,   सो बड़ा सा घर भी बनवा लिया| फिर शादी करके एक सुदंर सी पत्नी को  घर ले आये और छगनु अपने परिवार के साथ खूब खुश हो रहने लगे |
     सपने में  छगनु ने  देखा  कि उनके  घर मे चोर घुस आये हैं |  ,  खटर-पटर की  आवाज  सुनकर छगनु की आँख  खुल गयी | फिर तो वो भागे चोरो के पीछे| चोर आगे-आगे और छगनु पीछे-पीछे| चोर तो हाथ आये नहीं मगर आखिरी चोर पर छगनु ने जम कर लात मारी |   छगनु ने इतनी   जोर से उस चोरी को  पैर मारा कि जोर से किसी बरतन गिरने की आवाज आयी जिससे छगनु की सचमुच  मे  नींद टूट गई।   वे देखते क्या  है  कि  छींके का बरतन जमीन में गिरा और सारा दूध जमीन मे बिखर गया |  उसके  साथ ही छगनु के सारे सपने भी बिखर गये|😣

                               अंजू निगम
                               इंदौर-मध्यप्रदेश

टिप्पणी :- इस रचनाकार  के  बारे  में  संक्षिप्त  परिचय  लेखिका  के  ईमेल  से 
मैं श्रीमती अंजू निगम, लेखन के क्षेञ में सक्रिय हूँ| बच्चो  की कहानी लिखने का ये मेरा पहला प्रयास हैं| मेरे दैनिक भास्कर की साप्ताहिक पञिका'मधुरिमा' में व 'अद्भुत समाचार'( लखनऊ से प्रकाशित) में लेख छप चुके हैं| आजकल मैं  एक ई- पेपर के लिये लेख लिख रही हूँ|

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