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गुरुवार, 16 मार्च 2017

 ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' जी की रचना : परीक्षा





परीक्षा

मुझ से तुम न घबराना

चुपके से आ कर कहें परीक्षा.

घबराने से गायब होती

याद की थी जो बातेंशिक्षा.



याद रहा है जितना तुम को

लिख दो उस को, कहे परीक्षा.

सरल—सहल पहले लिखना

कानों में यह देती शिक्षा.



जो भी लिखना, सुंदर लिखना

सुंदरता की देती शिक्षा.

जितना पूछे, उतना​ लिखना

कह देती यह खूब परीक्षा.


 ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'

सशि, पोस्ट आफिस के पास,

रतनगढ़ — 458226 मप्र

जिला— नीमच भारत

9424079675



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