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रविवार, 6 जनवरी 2019

मधु त्यागी की बालकथा चिड़ियाघर




        रविवार का दिन था, सोमवार और मंगलवार की भी छुट्टी थी। छुट्टियाँ बिताने शिखर अपने मामा जी के घर गया। मामा जी की अपनी बेटियों इशिता और सान्या को चिड़ियाघर दिखाने ले जा रहे थें शिखर बहुत खुश था क्योंकि उसने भी चिड़ियाघर नहीं देखा था, वह भी मामा जी के साथ चिड़ियाघर गया। मामी जी ने बच्चों के खाने के लिए आलू की सब्ज़ी और पूरियाँ बनाकर दी, मामा जी की छोटी बेटी सान्या और शिखर को चाॅकलेट केक बहुत अच्छा लगता था इसलिए मामी जी ने केक भी बनाकर दिया।
            ग्यारह बजे मामा जी तीनों बच्चों को लेकर चिड़ियाघर पहुँचे। तीनों भागकर अंदर जाने लगे पर मामा जी ने तीनों को रोक लिया। उन्होंने बच्चों को बताया कि पहले टिकट खरीदनी पड़ेगी, टिकट दिखाकर ही अंदर प्रवेश कर सकते हैं। मामा जी ने टिकट खरीदी और सबने चिड़ियाघर में प्रवेश किया।
             चिड़ियाघर बहुत बड़ा था। सबसे पहले तीनों बच्चे चिड़ियों के पिंजरों की तरफ भागे। वहाँ उन्होंने विभिन्न प्रकार की चिड़ियाँ देखीं। विभिन्न रंगों के तोते देखे , अफ्रीका का रंग बिरंगा तोता बच्चों को बहुत अच्छा लगा, उनके पिंजरे में फल और सब्ज़ियाँ भी रखीं थीं। पास ही एक पिंजरे में सफेद पक्षी घूम रहा था। शिखर ने मामा जी से पूछा-यह कौन सा पक्षी है ? मामा जी, देखने में तो यह मोर जैसा है पर इसका रंग तो सफेद है।  मामा जी ने बताया -यह सफेद मोर है। और तभी मोर अपने सुंदर ,सफेद पंख फैलाकर नाचने लगा।
          तीनों बच्चों ने शेर देखा तो डर गए। मामा जी की छोटी बेटी सान्या तो डरकर अपनी दीदी इशिता के पीछे छिप गई तब मामा जी ने समझाया कि शेर बाहर नहीं आ सकते, इनके पिंजरे को बाड़ा कहते हैं। शेरों का बाड़ा बहुत बड़ा होता है। इन्हें बाड़े के अंदर ही खाने के लिए माँस दिया जाता है। बाड़े में तालाब भी है जहाँ येे पानी पीते हैं। बाड़े में बहुत सारे पेड़ और झाड़ियँं भी हैं और गुफानुमा कमरे बनाए गए हैं जहाँ ये आराम करते है।
     तीनों बच्चों ने देखा साथ वाले कुछ पिंजरों में पेड़ों पर साधारण बंदर कूद रहे थे परंतु कुछ पिंजरों में अजीब तरह के बंदर थें। मामा जी ने बताया कि ये अजीब तरह के बंदर चिम्पांजी हैं चिम्पांजी का शरीर छोटा और पूँछ लंबी होती है। ये अफ्रीका में पाए जाते हैं। चिम्पांजी फल और सब्ज़ियाॅं खाते हैं, दूध पीते हैं, ये माँस नहीं खाते।
       तीनों बच्चे तालाब के पास गए तो उन्होंने देखा वहाँ एक दरियाई घोड़ा कीचड़ उछाल उछालकर मस्ती रहा था। पास ही के पिंजरे में भालू बंद थे, भालू कभी कभी दो पैरों पर भी चलता था। हाथी और हिरन पास हीे दो अलग अलग बाड़ों में बंद थे। उनके घूमने फिरने के लिए उनके बाड़े बड़े और खुले बनाए गए थे। बच्चों ने मगरमच्छ भी देखे , कुछ मगरमच्छ सूखी रेत पर आराम कर रहे थे और कुछ तालाब में शिकार ढूँढ रहे थे। 
              चिड़ियाघर बहुत बड़ा था। तीनों बच्चे थक गए थे परंतु वे तीनों बहुत खुश थे। घर लौटते समय भी तीनों पशु पक्षियों की ही बातें कर रहे थे।

                  मधु त्यागी


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