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मंगलवार, 5 जनवरी 2021

"पानी का खेल " बालकथा : अंजू जैन गुप्ता

 






बरखा नगर का राजा अपनी प्रजा से बहुत प्रेम करता था। वह उन्हें अपनी संतान की भाँति मानता था और वहाँ के सभी जानवर भी आपस में मिल जुल कर रहते थे। 

वह छोटा सा नगर था और वहाँ की जनसंख्या भी ज्यादा नहीं थी, इसलिए उन्हें जल,आवास व भोजन जैसी सभी सुविधाएँ आसानी से प्राप्त   हो जाती थी। राजा भी खुश था क्योंकि उसकी प्रजा भी हँसी खुशी से अपना जीवन बिता रही थी। 

परन्तु कुछ समय बाद ही इस नगर की हरियाली  व खुशहाली को देखकर आस-पास के नगरों से भी लोगों ने यहाँ आकर रहना आरंभ कर दिया। 

एक दिन अचानक ही राजा को सुबह-सुबह  बाहर से शोर सुनाई  देता है। वह तुरंत ही अपने सैनिकों के साथ बाहर जाकर देखते हैं; पर ये क्या! बाहर तो नगर के निवासियों और बन्दर की टोली ने हुडदगं मचाया हुआ था। हर ओर से हमें पानी चाहिए, हमें पानी चाहिए का शोर सुनाई दे रहा था। तब राजा उन सबको शांत करते हुए कहते है कि , अरें भई ! समस्या क्या है पहले यह तो बताइए तब भीड़ से चंकु बंदर बाहर आता है और कहता है, "महाराज- महाराज आज जैसे ही मैं नहाने गया, ये देखिए सारा पानी ही समाप्त हो गया और साबुन मेरे शरीर पर ही लगा रहा गया।" साबुन लगा देखकर महाराज अपने सैनिकों को आवाज़ लगाते हैं और कहते है, सैनिकों इधर आओ ,इस चंकु बंदर को तुरंत ही अन्दर ले जाकर पानी से नहला दो।

तभी भीड़ से दो बच्चे निकल कर आते है और कहते है, महाराज- महाराज हमारी धरती पर तो बहुत सारा पानी है  इस पर तो 71%पानी है जिसके कारण इसे BLUE PLANETभी कहते है पर फिर भी हम सबको भरपूर मात्रा में पानी नहीं मिल पा रहा है ऐसा क्यों महाराज?

महाराज उन्हे समझाते हुए कहते हैं, हाँ -हाँ बच्चो तुम सही कह रहे हो,पर क्या तुम्हें पता है कि 71% का97%पानी हमारे महासागरों (oceans) में है और वह सारा पानी खारा है अर्थात नमक का है जिसके कारण वह हमारे लिए अनुपयोगी है और सिर्फ़ 3% पानी ही ताजा है किन्तु उसका 2/3भाग  हमारे glaciers में बर्फ के रूप में जमा हुआ है और इस प्रकार सिर्फ़ 1%पानी ही उपयोग  के लायक है।

  तभी चंकु बंदर नहा कर बाहर आ जाता है और कहता है महाराज महाराज 71%,97% बला- बला क्या बला है?मुझे तो कुछ समझ नहीं आया। ये सब क्या हिसाब -किताब की बातें हैं? जब धरती पर इतना सारा पानी है तो हम सब को भरपूर कयों  नही मिल पाता ?

महाराज कहते है, चंकु बंदर इधर आओ मैं तुम्हें आसान तरीके से समझाता हूँ ।यह कहते ही महाराज अपने सैनिकों को आवाज़ लगाते हैं और कहते है कि जाओ जाकर 71जूस की बोतलें ले आओ और ये सभी चंकु बंदर को  दे दो वह 71जूस की बोतलें पाकर  फूला न समाता(अर्थात बहुत खुश होता है)और कहता है वाह-वाह! इतना सारा जूस मैं तो सारा पीकर मोटा हो जाऊँगा, पर ये क्या जैसे ही उसने पहली बोतल खोली उसमें तो नमक वाला जूस था। ऐसे एक-एक करके 68 बोतलों में नमक वाला जूस था। अब बची सिर्फ 3 बोतलें और उनमें से 2बोतलों में बर्फ जमी हुई थी अब सिर्फ़ 1ही बोतल में  मीठा जूस था। 

  वह महाराज के पास जाता है और कहता है महाराज महाराज देखिए न सैनिकों ने यह कैसा जूस दिया है केवल एक ही बोतल में मीठा जूस है जो पीने लायक है, बाकी सब तो बेकार है किसी काम के ही नहीं है। 

चंकु बंदर की बातें सुनते ही महाराज ज़ोर से हँस देते है, और हँसते- हँसते कहते है कि देखा चंकु इसी प्रकार हमारी धरती पर भी सिर्फ़ 1%ही जल है जो उपयोग के लायक है इसलिए हमें जल का सोच - समझ कर उपयोग करना चाहिए जितना हो सके उसकी बचत करनी चाहिए। 

"जल अनमोल है। "






अंजू जैन गुप्ता

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