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सोमवार, 25 जनवरी 2021

लघु कथा (काश,,,,,,): वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी

 





  

पिता ने बेटे से कहा बेटा केवल मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करने, उन्हें फूल चढ़ाने, या व्रत रहने तथा परीक्षा देने जाने से पहले दही शक्कर खाने से ही कोई परीक्षा पास नहीं कर सकता।उसके लिए कड़ी मेहनत करना,लक्ष्य निर्धारित करना,समय का सदुपयोग करना,हर विषय की समुचित जानकारी रखने के साथ-साथ,पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ परीक्षा देना ही तुम्हारे जीवन को सफल बनाने में सहायक हो सकता है।केवल भगवान भरोसे रहना ही ठीक नहीं है बेटा।

      बेटा सारी बातों को बड़े ही बेमन से सुनकर बालों को झटकते हुए बाहर जाते हुए बोला पिता जी आप अपना ज्ञान अपने पास ही रखें।मुझे तो जो सही लगता है मैं तो वही करूंगा।आप तो नास्तिक हैं मैं तो नहीं,,,

     कुछ समय बाद परीक्षाएं प्रारम्भ हो गईं।लड़का रोजाना ढोंग दिखावे की प्रक्रिया पूरी करके परीक्षा देता।प्रश्न पत्र देखकर पहले तो उसको आँखों से लगाता,फिर दिल के पास ले  जाकर ईश्वर से सही होने की प्रार्थना करता।अर्थात काफी समय तो ऐसे ही खराब कर देता।बाकी समय में इधर उधर ताक- झांक करता।क्या लिखता क्या नहीं ईस्वर ही जाने।

     परीक्षा समाप्ति  के कुछ दिन बाद हाई स्कूल का रिजल्ट घोषित हुआ।काफी नज़र दौड़ाने पर भी रोल नंबर नहीं मिलने पर सिर्फ उदासी ही हाथ लगने पर उसे पिता जी की बात याद आने लगी।

उधर पिता जी भी पीछे खड़े होकर उसकी उदासी पर चिंतित लग रहे थे।फिर भी बेटे को समझते हुए यही कहा चलो जो हुआ सो हुआ।आगे मेहनत करके ही परीक्षा देना।

       लड़का साल की बर्बादी को याद करते हुए पछताते हुए बोला काश,,,,,




          

                 वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी

                    मुरादाबाद/उ,प्र,

                    9719275453

                     20/01/2021

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