ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 26 जुलाई 2020

कालू बन्दर : नीरज त्यागी की बाल कविता





कालू बंदर है  बहुत परेशान,
भारी गर्मी से वो होता हैरान।
बादल कभी - कभी है दिखते,
ना जाने फिर क्यों नही टिकते।

प्रभु से फिर करने लगा गुहार,
प्रभु कर दो बारिश की बौछार।
उमड़ - घुमड़ कर बादल आये,
कालू झूम-झूम कर नाचे गाये।

तन - मन कालू के हो गए तृप्त,
बारिश जंगल मे हुई जबरदस्त।
दूर हो गयी जंगल से गर्मी की मार,
कई  दिन  बरसे  बादल  बारम्बार।




नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).
मोबाइल ‪09582488698‬
65/5 लाल क्वार्टर राणा प्रताप स्कूल के सामने ग़ाज़ियाबाद उत्तर प्रदेश 201001

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें