गोदी में बिठाकर के , करती बहुत दुलार।।
भूख लगने पर माँ मुझको , हाथों से खिलाती।
प्यास लगने पर मेरी माँ , पानी मुझे पिलाती।।
जब भी नींद नही आती है , गोदी में सुलाती।
आँखे बंद करके माँ , लोरी वह सुनाती।।
जब भी मैं बाहर जाऊँ , इंतजार बहुत है करती।
मुझे सामने देख कर माँ , ठंडी आहे भरती।।
धूप लगने पर माँ अपनी , आँचल है फैलती।
खुद कष्ट सहकर माँ , मुझको बहुत हँसाती।।
माँ की ममता बहुत निराली , करती है वह काम।
थक जाने पर भी माँ , करती नही है आराम।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
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