मानसून है आ गया , छाय घटा घनघोर।
बिजली कड़के जोर से , वन में नाचे मोर।।
पानी गिरते रोज के , हर्षित हुए किसान।
उपजाते है खेत में , लहराते हैं धान।।
चली हवाएँ जोर से , पक्षी करते शोर।
चले किसानी कार्य को , होते ही वह भोर।।
झूमें गायें लोग सब , आते ही बरसात ।
फसल उगाने आज सब , करे कार्य दिन रात।।
मानसून की आहटें , मन को खुश कर जाय।
हरियाली चहुँ ओर हैं , फसलें भी लहराय।।
प्रिया देवांगन *प्रियू*
पंडरिया
जिला - कबीरधाम
छत्तीसगढ़
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें