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रविवार, 26 मई 2019

किसान (ताटंक छंद) : महेन्द्र देवांगन माटी








करे परिश्रम खेतों में वह , तब रोटी मिल पाती है ।
माथ पसीना टप टप टपके , वह मोती बन जाती है ।।

करे नहीं परवाह धूप का , बैलों को ले जाता है ।
हल को लेकर चले खेत में  , माटी अन्न उगाता है ।।

देख किसानों की पूजा को , धरती खुश हो जाती है ।
ओढ चुनरिया हरियाली की , मस्ती में  वह गाती है ।।

हरी भरी धरती को देखे , बादल खुश हो जाता है ।
गड़गड़ करके मेघ गरजता , फिर पानी बरसाता है ।।

नमन करें हम श्रमिक जनों को , नदियाँ पर्वत घाटी को ।
नमन करें हम मातृभूमि को , इसके कण कण माटी को ।।














महेन्द्र देवांगन "माटी " (शिक्षक) 
पंडरिया छत्तीसगढ़ 
8602407353
mahendradewanganmati@gmail.com

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