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रविवार, 26 मई 2019

परोपकार का संतोष बालकथा : कृष्ण कुमार वर्मा





रौनक और अतुल दो पक्के मित्र थे । एक साथ खेलना , कूदना और साथ मे ही स्कूल जाते थे ।
एक बार दोनो स्कूल जा रहे थे तो रास्ते मे एक आम का पेड़ था । आम पककर गिरे हुए थे । जैसे ही रौनक ने देखा तो दोनो दौड़कर आम के पास पहुंच गए और उठाने लगे । फिर अचानक अतुल ने देखा कि पास में एक चिड़िया की छोटी सी बच्ची गिरी पड़ी है । तो अतुल जाकर उसे उठाने लगा । यह देखकर रौनक ने अतुल से कहा - कि अब हमें चलना चाहिये क्योंकि स्कूल के लिए देर हो रहे है । लेकिन अतुल ने कहा - " हम इसे ऐसे नही छोड़ सकते ! यह अपने घोंसले से गिर गया है और यही पर पड़ा हुआ गर्मी में मर जायेगा । हमे इसे घोसले में पहुँचाना ही होगा ।
तभी रौनक ने कहा कि इसे कैसे ऊपर चढ़ाएंगे ?
तब अतुल ने कहा कि वह उसके ऊपर चढ़कर उसे ऊपर रख दें । फिर रौनक ने वैसे ही किया । और इस तरह दोनो दोस्त स्कूल के लिए निकले ।
आज बहुत देर हो चुका था । मास्टर जी ने देर आने का कारण पूछा तो अतुल ने सबकुछ बता दिया ।
यह सब सुनकर मास्टर जी ने दोनों को शाबासी दी और पूरी कक्षा को परोपकार का महत्व बताया कि कैसे हमे हर जीव - जंतुओं की मदद करनी चाहिए।
यह सब सुनकर रौनक और अतुल बहुत खुश थे और विशेषकर रौनक को परोपकार का महत्व और संतोष , समझ मे आ चुका था ।




      कृष्ण 

  •   कुमार वर्मा

      चंदखुरी फार्म , रायपुर
      9009091950
      krcverma@gmail.com
      25/05/2019

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