ब्लॉग आर्काइव

रविवार, 26 मई 2019

तितली हूं या परी : प्रभूदयाल श्रीवास्तव





 ओंठों पर मुस्कान खिली है,
 आंखों में है जादू।
 मुझे देखकर खुश कितने हैं,
 मेरे अम्मा बापू।

         मुंडन अभी करा के आई,
         लगती हूं मैं कैसी?
         फूलों पर बैठी तितली हूं,
         या हूं    परियों जैसी।



                    प्रभूदयाल श्रीवास्तव

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें