होली का त्योहार भारत और नेपाल सहित सभी हिन्दू धर्मावलम्बी/अनुयायियों राष्ट्रों में बहुत जोर शोर से मनाया जाता है । जानते हो बच्चों होली का त्योहार क्यों मनाते हैं? प्रहलाद नाम का बालक परमपिता परमेश्वर का बड़ा भक्त था। बालक प्रहलाद का पिता हिरणाकश्यप दुष्ट और बहुत घमंडी था । वह स्वयं को भगवान समझता था और पूरे विश्व से केवल अपनी पूजा ही करवाना चाहता था । इसलिए हिरणाकश्यप प्रहलाद को भगवान की पूजा न कर केवल स्वयं की पूजा करने के लिए कहता था । प्रहलाद का मानना था कि परमपिता परमेश्वर ही भगवान है । इसलिए बालक प्रहलाद ईश्वर का पूजा-पाठ करता था । इस बात से नाराज हिरणाकश्यप, प्रहलाद को तरह तरह की यातनाएं देता था यहाँ तक कि प्रहलाद को जान से मार डालने की बहुत कोशिश करता था। प्रहलाद को उसने पहाड से नीचे फेंका, पागल हाथी के सामने डाला,खाने में जहर मिलाया लेकिन भगवान- भक्त प्रहलाद हमेशा बच जाता था। अपने भाई को परेशान देखकर हिरणाकश्यप की बहन होलिका , जिस के पास वरदान स्वरूप प्राप्त एक ओढनी थी जिसे ओढ कर अगर आग में बैठ जाय तो आग उसे नहीं जला पाती । होलिका बालक प्रहलाद को गोद में लेकर जलती अग्नि मे बैठ गई । लेकिन भगवान के आशीष से ऐसी हवा चली कि ओढनी हवा में उड गई। परिणामस्वरूप होलिका जल गई और प्रहलाद बच गये। तब लोगों ने एक दूसरे के ऊपर रगों को डाल कर खुशियाँ मनाया । बाद मे प्रतिवर्ष होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन के रूप मे तथा तत् पश्चात उसके अगले दिन चैत्र माह केपहले दिन रंग खेल कर मनाते हैं। वह हिन्दी कैलेण्डर के नववर्ष का पहला दिन होता है अतः इसे खूब हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। इसी समय ऋतुराज बसन्त का आगमन हो जाता है। नये पत्तों पुष्पों से प्रकृतिक वातावरण खुशियो से भर जाता है । हाँ एक बात और है वह यह कि भारतीय कृषक के पास रबी की फसल कट कर घर में आ जाती है अत: यह त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
होली भाईचारा और आपसी सौहार्द का प्रतीक है। हम सभी भेदभाव दूर कर प्यार से एक दूसरे के गले मिल इसे मनाते हैं।
शरद कुमार श्रीवास्तव
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