आवय महीना फाग के, खेले रंग गुलाल।
पीला नीला अउ हरा, रंगे सब के गाल।।
रंगे सब के गाल, खुशी से नाचय झूमय।
दाई बाबू देख, अपन नाती ला चूमय।।
ढोल नगाड़ा संग, अबड़ सब गाना गावय।
रहय सुघर परिवार, फाग होली जब आवय।।
लइका मन हर आज के, नइ खेलय अब रंग।
गोली देखय भाँग के, रहिथे जम्मो दंग।।
रहिथे जम्मो दंग, देख के मुहूंँ बनाथे।
कोनो रंग लगाय, अबड़ ओला चिल्लाथे।।
बइठे कुरिया लोग, लगाके जी वो फइका।
बदल जमाना देख, नहीं खेलय अब लइका।।
मोबाइल मा आज कल, मानय सबो तिहार।
भेजय होली रंग ला, खुश होवय परिवार।।
खुश होवय परिवार, उही मा देत बधाई।
बाँटय मया दुलार, सबो झन बहिनी भाई।।
लइका मन ला देख, करय सब बड़ इस्माइल।
कइसे कलयुग आय, रंग बांँटे मोबाइल।।
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
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