नीले-नीले अम्बर हम को, लगते कितने प्यारे।
इक दूजे सँग मिलकर रहते, सूरज चाँद सितारे।।
कभी चाँद अम्बर छुप जाते, करते छुपम-छुपाई।
नयन ढूंँढते रहते उनको, देते नहीं दिखाई।।
बैठ जमीं हम देखा करते, सुंदर सभी नजारे।
इक दूजे सँग मिलकर रहते, सूरज चाँद सितारे।।
फैले है वो चादर जैसे, हर पल रहते छाये।
जहाँ-जहाँ हम जाते साथी, बनकर चलते साये।।
नीर बरसते जब अम्बर से, हो जाते हैं न्यारे।
इक दूजे सँग मिलकर रहते, सूरज चाँद सितारे।।
नीर वायु सूरज अरु तारे, अम्बर सभी समाते।
सदा समय से आगे आते, अपना रूप दिखाते।।
हे मानव कुछ सीखो तुम भी, रहो एक सा सारे।
इक दूजे सँग मिलकर रहते, सूरज चाँद सितारे।।
रचनाकार
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
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