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शनिवार, 26 मार्च 2022

जल जीवन : वीरेन्द्र सिंह बृजवासी

 


जल जीवन है जीवन जल है,

जल से ही जीवित हर पल है,

जल की बचत  करोगे तब ही,

जीवन को मिल पाता कल है।

     


जल बिन मर  जातीं मुस्कानें,

कैसा  गीत  कहाँ   की   तानें,

बून्द - बून्द  से  भरे   सरोवर,

इनकी परामशक्ति  को  जानें,

जल  की  बर्बादी   को   रोकें,

इसमें हर मुश्किल का हल है।



जल में  ही अस्तित्व  छुपा है,

मोती,मानुष, और  माटी  का,

जल बिन  कोई मूल्य नहीं  है,

धरा,  मेघ,  जंगल  घाटी  का,

जल के बिन  सारे  का  सारा,

कठिन परिश्रम भी निष्फलहै।



पशु - पक्षी  इतना  जल  पीते,

जितने  में  वह  सुख से जीते,

पर मानव अभिमानी  बनकर,

करता   ताल  -  तलैया   रीते,

केवल अपनी सुख सुविधा में,

भूल  गया  सबका  मंगल  है।



कब तक मनमानी कर  लोगे,

धरती  के   सुख  से   खेलोगे,

औरों  के   हिस्से   का  पानी,

पीकर तुम कब तक जी लोगे,

अभी  समय  है आंखें खोलो,

नहीं जगे तो मुश्किल पल  है।


         


         वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

            9719275453

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